Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Aug 2024 · 1 min read

लोग समझते थे यही

लोग समझते थे यही
मैं तुफानों से डर जाऊँगा
वो मेरे हौंसले से वाकिफ ही नहीं
कौन बतलाए उनको
मेरी फितरत ऐसी भी नहीं
मैने उम्र भर जलजलों से खेल खेले हैं

1 Like · 39 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from VINOD CHAUHAN
View all
You may also like:
जो क्षण भर में भी न नष्ट हो
जो क्षण भर में भी न नष्ट हो
PRADYUMNA AROTHIYA
प्राण दंडक छंद
प्राण दंडक छंद
Sushila joshi
कभी उसकी कदर करके देखो,
कभी उसकी कदर करके देखो,
पूर्वार्थ
3281.*पूर्णिका*
3281.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नहीं मतलब अब तुमसे, नहीं बात तुमसे करना
नहीं मतलब अब तुमसे, नहीं बात तुमसे करना
gurudeenverma198
दुनिया रैन बसेरा है
दुनिया रैन बसेरा है
अरशद रसूल बदायूंनी
മറന്നിടാം പിണക്കവും
മറന്നിടാം പിണക്കവും
Heera S
मानवता का मुखड़ा
मानवता का मुखड़ा
Seema Garg
गर मुहब्बत करते हो तो बस इतना जान लेना,
गर मुहब्बत करते हो तो बस इतना जान लेना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
......?
......?
शेखर सिंह
ग़ज़ल:- रोशनी देता है सूरज को शरारा करके...
ग़ज़ल:- रोशनी देता है सूरज को शरारा करके...
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
रात में कर देते हैं वे भी अंधेरा
रात में कर देते हैं वे भी अंधेरा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
दोहा -
दोहा -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
महिमा है सतनाम की
महिमा है सतनाम की
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"बगैर तुलना के"
Dr. Kishan tandon kranti
*अब न वो दर्द ,न वो दिल ही ,न वो दीवाने रहे*
*अब न वो दर्द ,न वो दिल ही ,न वो दीवाने रहे*
sudhir kumar
मैं लिखूंगा तुम्हें
मैं लिखूंगा तुम्हें
हिमांशु Kulshrestha
*भालू (बाल कविता)*
*भालू (बाल कविता)*
Ravi Prakash
ये शास्वत है कि हम सभी ईश्वर अंश है। परंतु सबकी परिस्थितियां
ये शास्वत है कि हम सभी ईश्वर अंश है। परंतु सबकी परिस्थितियां
Sanjay ' शून्य'
वक्त को कौन बांध सका है
वक्त को कौन बांध सका है
Surinder blackpen
ऐश ट्रे   ...
ऐश ट्रे ...
sushil sarna
हमारी हिन्दी ऊँच-नीच का भेदभाव नहीं करती.,
हमारी हिन्दी ऊँच-नीच का भेदभाव नहीं करती.,
SPK Sachin Lodhi
ମର୍ଯ୍ୟାଦା ପୁରୁଷୋତ୍ତମ ଶ୍ରୀରାମ
ମର୍ଯ୍ୟାଦା ପୁରୁଷୋତ୍ତମ ଶ୍ରୀରାମ
Bidyadhar Mantry
बुराई का अंत बहोत बुरा होता है
बुराई का अंत बहोत बुरा होता है
Sonam Puneet Dubey
.... कुछ....
.... कुछ....
Naushaba Suriya
प्रेम नि: शुल्क होते हुए भी
प्रेम नि: शुल्क होते हुए भी
प्रेमदास वसु सुरेखा
प्रेम
प्रेम
Satish Srijan
#दीनदयाल_जयंती
#दीनदयाल_जयंती
*प्रणय प्रभात*
अपनी अपनी बहन के घर भी आया जाया करो क्योंकि माता-पिता के बाद
अपनी अपनी बहन के घर भी आया जाया करो क्योंकि माता-पिता के बाद
Ranjeet kumar patre
हमेशा आगे
हमेशा आगे
surenderpal vaidya
Loading...