लोग क्या कहेंगे
जिसने ये टेंशन नहीं ली कि लोग क्या कहेंगे, वही केवल सटीक रस्ते पर चल पड़ेगा, उसे दुःखों में भी मुस्कुराने में आपत्ति नहीं होगी, वो ऐसा कर सकता है! जो लोगो के हिसाब से ही चला, किसी के बहकावे में चला, सुनने मात्र से ज़िन्दगी की पटरी पर चला, ऐसे करने से अगर उसे सत्य मालूम पड़ता तो आज अधिक-से-अधिक लोग सत्यवादी होते, संसार में सुख-ही-सुख होता, लोग बस हँसते हुवे ज़ी रहे होते, बस काश!