लोग कहते हैं बहुत बुरा हूँ मैं।
लोग कहते हैं बहुत बुरा हूं मैँ।
और मैँ सोचता हूँ खरा हूं मैं।
मुझको सहरा समझने वालों।
पास आओ बहुत भरा हूँ मैं।
कुछ बदतमीजों से बना ली दूरी।
उनको लगता है ये डरा हूँ मैं।
मौत का डर मुझे न दिखलाओ।
अनगिनत बार ही मरा हूँ मैं।
बहुत कम लोग हाथ देते हैं।
मुझको मालूम है गिरा हूँ मैं।
मुझको मालूम है सही हो तुम।
जब ये कहते कि सिरफिरा हूँ मैं।
मैं क्या हूँ ” नज़र” ये समझोगे।
खिजां में बहार बन फिरा हूँ मैं।
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कुमारकलहँस,09,05,21,बोइसर, पालघर।