“ लोगों ने हमें फुद्दू बना दिया “ ( व्यंग )
एक कविता को शृंगारिक
परिधानों से सँवारा
कविता को प्रियतमा का रूप दिया
उसके सौदर्य को सजाया ,
उनके नख -शिख का
वर्णन किया !!
उनकी मांग को सिंदूर और
चुड़ामणि रत्न से सजाया ,
गले में सुंदर आभूषण पहनाया !
सम्पूर्ण कविता को आकार दिया
सुंदरता का अद्भुत रूप बनाया !
फिर कविता के नीचे एक
सुंदर तस्वीर हमने लगायी !
लोगों के लाइक और कॉमेंटों
की बरसात उमड़ आयी !!
किसी ने लिखा “ क्या लगती हो ?”
“ तुम मेरे सपनों की रानी हो “
“ लाजवाब “ “ सुंदर “
बड़ी क्यूट लगती हो !!
इसी तरह लाइक और कॉमेंटों
की बौछारें होने लगी ,
हमने कुछ और सोचा ,
सब उल्टा -पुल्टा हो गया !
लोग हमारी कविता को एक नजर
देखा भी नहीं और नीचे
सुंदर तस्वीर को लोग चूमते चले गए !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड