लोक कलाकार ढोल पिपही वला के खोज खबैर के राखत?
लोक कलाकार ढोल पिपही वला के खोज खबैर के राखत?
लोक कलाकार सब के पोसबा संरक्षित करबा मे मिथिलाक लोक के नै कहियो ओतेक उत्साह रहलै आ ताबे कोन तेहेन बेगरते हइ? बड्ड बेसी त दुर्गा पूजा मे बिधि पूराउ, की मूरन उपनेन मे मंगाउ आ बियाह शादी मे जेकरा बैंड पाटी सटा नै भेलै आ की गरीब लोक हइ त ढ़ोल पिपही बला के बजौतै.
तकरा बाद ढोल पिपही बला सब जड़ौ की मरौ केकरा कोन माने मतलब हइ आ बलू कथी लै रहतै ग.
हमरा अरू कना जीबै खेबै? इ ढ़ोल पिपही केना बांचल रहतै कोइ ने सोचै जाइ हइ? आब ढ़ोल पिपही आस्ते आस्ते उठाएब भ गेलै. डी जे नाच आगू हमरा ढोल पिपही बला के खोज खबैर रखतै ग?
पहिने मिथिला के गामे गाम सब मे दुर्गा पूजा, मूरन उपनेन, बियाह तिलक सब मे ढोल पिपही बजबाएब के परंपरा रहै. पिपही (शहनाई) के मांगलिक धून, ओकरा संगे डूगडूगी के डूग डूग, झुनझुना बजौनिहार सब के धून बेस लोक के मोन मोहि लैत रहै.
लोक कलाकार ढोल पिपही वला सब लोकाचार, गीत नाद, भगवति सुमिरन, सोहर समदाउन, थोड़े फिल्मी धुन सब सेहो बजबै आ खूब सोहनगर रमनगर लगै. धिया पूता बुढ़ पुरान छौंड़ा मारेर, जनिजाइत सब ढोल पिपही वला सबके कलाकारी देखै सुनै छलै.
मोन पड़ैए हमरा अपने पैतृक गाम मंगरौना के नामी ढोल पिपही कलाकार जुगेसर राम, देबन राम, सीताराम राम, बनैया, भोला राम सब जे सब ढोल पिपही कला मे बेस पारंगत रहै जाइ. गामक दुर्गास्थान मे ओ सब ढोल पिपही पर धून बजबै जाइ.. भगवती बसै यै बरी दूर गमक लागे गेंदा के फूल. सोहर, समदाउन बजबै. सुननाहर सब बेस भक्ति भाव, सोहनगर मोन स ढोल पिपही वला के सुनै. जेकरा जे जुड़ै से खुशनामा मे रूपैया पैसा दै. पूजा कमिटी दिस स सेहो रूपैया देल जाइ. दुर्गा पूजा मे इ कलाकार सब 9बो दिन आ दसमी के भसाउन तक ढोल पिपही बजबैत रहै.
आब त कोनो कोनो गाम मे ढोल पिपही वला सब बंचलै सेहो आब दुर्गे पूजा टा मे कतौ कतौ देखल जेतै. हमरो गाम कलाकार सह आब नै रहलै आ नव पिढी सब अइ कला के सीखो नै रहलै आ नै मिथिला समाज मे तेहेन ओतेक मोजर देल जाइ छै. कलाकार सब परदेश कमाई लै चल गेलै त कोइ खेती बारी मे लागल यै, त नबका लोक सब सीखबे नै करैए.
त आब आस्ते आस्ते ढोल पिपही कलाकार सेहो बिलुप्त भेल जा रहलै. बड्ड चिंता के गप? मिथिला समाज के लोक के आगू बढि लोक कलाकार सब के जियाअ के राखै परतै. ढोल पिपही बला लोक कलाकार के खोज खबैर रखै जाउ. एइ कलाकार सबके प्रोत्साहन आर्थिक मदैद क ढोल पिपही सन रमनगर सोहनगर लोक वाद्य रंग के बंचा के रखै जाइ जाउ.
लेखक- किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)