लोकल से वोकल
बन्द कर दिए जब पूरी दुनिया ने बाज़ार अपने,
तब हमारे अपनों ने बाज़ार का बीड़ा उठाया था,
ठुकराया कभी जिसको बेकार सस्ता हल्का कहकर,
उसी लोकल ने कठिन समय में हमारी वैसाखी का किरदार निभाया था,
जब खुले दरवाजे जहां के तो भूल न जाए हम उनकी इस खुद्दारी को,
इसलिए प्रधान ने हमारे लोकल से वोकल का ध्येय बताया था,
जिसने दी सहूलियत हमें खुद को खतरे में डालकर,
अब उनको उनके इस किए का फल हमें ही देना है,
रोते हुए समय में मुस्कुराहट जो बरकरार रही हमारे चेहरों पर,
उसी मुस्कान की खातिर इनको विश्व की ऊंचाइयों तक हमें पहुंचाना है,
कदम बढ़ाएंगे यह भी अब और इनकी मुस्कान को हमें ही बनाए रखना है,
बहुत रख लिया विश्व का ख्याल अब अपनों का ख्याल रखना है