लोकतन्त्र के हत्यारे अब वोट मांगने आएंगे
लोकतन्त्र के बनिया बकड़ अपना रंग सजाएंगे
जनता को वह मूर्ख बनाकर अपना रंग जमाएंगे
गली गली के चौराहों पर नोट बाटने आएंगे
लोकतन्त्र के हत्यारे अब वोट मांगने आएंगे
झूठे वादे झूठे सपने आम जनता को दिखाएंगे
किसानों का खा कर दाना, थाली खूब सजाएंगे
भ्रष्टाचार का मुद्रा भंडारण, चुपके से मंगवाएंगे
लोकतन्त्र के हत्यारे अब वोट मांगने आएंगे
बांध सरोवर परियोजना सपना स्वच्छ दिखाएंगे
रक्षक दल के बनकर देखें भक्षक वह हो जाएंगे
लोकतंत्र के मंदिर में वह खुद की पीड़ा गाएंगे
लोकतन्त्र के हत्यारे अब वोट मांगने आएंगे
मंहगाई की बात करेंगे, प्रशासन खुद हथियाएंगे
तेरे हित की बात नहीं वह दंगा भी करवाएंगे
धर्म निरपेक्षता आर्यावर्त धर्म धर्म लड़वाएंगे
लोकतन्त्र के हत्यारे अब वोट मांगने आएंगे
रोजगार समाचार एजेंसी मुद्रा पर बिक जाएंगे
निर्धन वर्ग का हक मारकर बंगला कोठी लहराएंगे
बारह हजार रुपए में कैसा शौचालय बनवाएंगे
लोकतन्त्र के हत्यारे अब वोट मांगने आएंगे
कुछ फंड जो पास हुआ तो खुद बिचौली बन जाएंगे
अपराधों पर कसे हथकंडे, अपराध पक्षधर हो जाएंगे
अपना दुखड़ा जो गाए वह क्या नेता बन पाएंगे
लोकतन्त्र के हत्यारे अब वोट मांगने आएंगे