लोकतन्त्र के वोटर का हाल
जिस विस्वास पर वोट दिया था,
उस विस्वास का छल देखो ।
वोटर त्राहि त्राहि कर रहा ,
नेताओं का हल देखो ।।
बिन ऑक्सीजन इंसान तड़फ रहा
सड़क पर मर रहा वोटर ।
नेताओं को चुनाव की पड़ी
हाय कहाँ गया चौकीदार-इंस्पेक्टर ।।
मछली समझ सिस्टम ने फेंका
बीच मझदार में देकर दोखा ।
अब किस किस के द्वार पड़े हम
सरकार ने कर दिया अनदेखा ।।
कोई बोल रहा संयम बरतो
कोई बोले धैर्य रखो ।
कुछ पल में जान चली गयी
अब लाश फेंको और यादें रखो ।।
लोकतंत्र का सिस्टम देखो
सिरों पर घूमती टोपी है ।
ना कोई पीछे जिम्मेदार खड़ा है
अधिकारियों की मनमर्जी है ।।
हर समस्या पर हाथ खड़े हैं
मुँह में राम जेब मे चाकू पड़े हैं ।
ना हल होती जनता की समस्या
फिर भी टैक्स क्यो लेने खड़े हैं ।।
चाहे जय बोलो भारत माँ की
चाहे जय श्री राम कहो ।
रामराज्य का ख्वाब दिखाकर
रावण जैसे काम करो ।।
भारत माँ का मातम देखो
हर घर मे लाश गिनो ।
कोरोना हाहाकार कर रहा
योगीराज में मन की बात सुनो ।।
सुने हो गए घर द्वारे
बच्चे अनाथ होकर घूम रहे ।
वेवाओं की चीखें दब गयी
चुनावी जीत-हार का जश्न सुनो ।।
वादे ही वादे होते है
हर दिन एक नया वादा सुनो ।
भ्रस्टाचार के लिए योजनाए बनती
फाइलों में देश का विकास सुनो ।।