लोकतंत्र पर संकट
हाय रे, तू कितना झूठा
अब तुझसे भरोसा उठा…
(१)
आज़ादी और
खुशहाली का
सपना सुहाना टूटा…
(२)
तुझको अपना
नेता क्या चुना
हमारा करम ही फूटा…
(३)
अपने यारों के
साथ मिलकर
तूने जनता को लूटा…
(४)
ख़ून के धब्बे
छिप न सकेंगे
काढ़ने से बेल बूटा…
(५)
पूरा देश बना
जैसे जेलखाना
उससे सबका दम घुटा…
(६)
वे अच्छे दिन
कब तक आएंगे
हमारा तो हौसला छूटा…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#जनवादीगीत