लोकतंत्र को जिया जाए!
एक-दूसरे को सुना जाए
एक-दूसरे से कहा जाए
असहमतियों के बावजूद
एक-दूसरे को सहा जाए…
(१)
मुमकिन है आज का दुश्मन
कल हमारा दोस्त निकले
फिर बात को समझे बिना
झूठ-मूठ में क्यों लड़ा जाए…
(२)
नेकी और बदी का फ़र्क
बेहद बारीक होता है
किताब चाहे कोई भी हो
उसे खुले मन से पढ़ा जाए…
(३)
किसी नागरिक का फ़र्ज़
क्या केवल वोट देना है
संसद से लेकर सड़क तक
अब लोकतंत्र को जीया जाए…
(४)
दिल से निकली हुई ग़ज़ल
दिल तक ज़रूर पहुंचेगी
शर्त है लेकिन हर एक शेर
अपने ख़ून से लिखा जाए…
(५)
मुखालिफ की कोई तनकीद
विचलित कर न पाए हमें
क्यों न अपनी शख्सियत को
कुछ इस क़दर से गढ़ा जाए…
(६)
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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