लॉक डाउन के साइड इफेक्ट्स(हास्य व्यंग काव्य)
मेहमानों से जिनको चिढ़ थी ।
उनको देखते ही भौंहे तनती थी।
वो मेहमान आने बंद हो गए जिनकी ,
गृहणी को सेवा सत्कार करनी पड़ती थी ।
मेहमान जो आने बंद हो गए ।
उन पर होने वाले खर्च भी बंद हुए।
देने पड़ते थे जो तोहफे या शगुन,
वो झंझट भी खत्म हुए ।
होटल / रेस्तरां में जब ताला लगा ।
तो चटोरे लोगों के मुंह पर भी ताला लगा ।
गृह स्वामी पर जो अनावश्यक खर्चों,
का बोझ होता था उसपर भी ताला लगा ।
मार्किट वगेरह बंद पड़ी थी ।
महिलाएं भी घर में बंद पड़ी थी।
कहती भी कैसे शॉपिंग करने को ,
ऐसे में पति महोदय की जेब बचनी ही थी।
लॉक डाउन ने पतियों की जेबें बचाई ।
और महिलाओं की मेहनत भी बचाई ।
टूटते परिवारों को जोड़ा और उनका मेल,
करवाकर साथ खेलने की परंपरा बनाई ।
अभी कभी मत कहना लॉक डाउन बुरा है।
इसने कई कलाकारों / लेखकों को उभारा है ।
अति व्यस्तता में जिनके रह गए अधूरे ख्वाब,
उनके भीतर छिपी प्रतिभा को सराहा है ।
हर सिक्के के दो पहलू होते है ।
हर चीज के गुण दोष होते है ।
जरूरत उसे सही परखने की,जरा सोचो!
फूलों के साथ कांटे क्यों होते है ।