*लॉकडाउन हमारा मित्र है ( लघुकथा)*
लॉकडाउन हमारा मित्र है ( लघुकथा)
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एक बंधु दुकानदार थे । मेरे पास बाकायदा मास्क लगाकर आए । दो गज दूर बैठे । मैं भी मास्क लगाए हुए था। दुखी होकर कहने लगे “भाई साहब ! इस लॉकडाउन ने तो हमारी हालत खस्ता कर दी । दुकान बंद पड़ी है ।आर्थिक स्थिति बर्बाद हो गई ।”
मैंने उन्हें टोका और कहा कि लॉकडाउन को दोषी मत कहिए । यह कहिए कि कोरोना की वजह से हमारी यह बुरी हालत हो रही है । लॉकडाउन की वजह से तो हम पूरी तरह समाप्त होने से बचे हुए हैं।”
वह आश्चर्य से कहने लगे “यह कैसे ?”
मैंने उन्हें समझाया ” देखिए ! कल की ही घटना बता रहा हूँ। मैं बैंक गया था। वहाँ दरवाजे पर एक तख्ती लटकी हुई थी। जिस पर लिखा था कि कृपया काउंटर को न छुएँ। अब आप इसका मतलब समझ रहे हैं ? ”
वह बोले “यह तो बड़ी अजीब बात है? दुकान खोलने के बाद ग्राहक काउंटर कैसे नहीं छूएगा ?”
मैंने कहा “यही तो मैं आपको समझा रहा हूँ। बैंक में ग्राहक प्रवेश तो करेगा ,लेकिन उसे काउंटर छूने की मनाही बताई गई है। इसका अर्थ यह है कि संक्रमित व्यक्ति के काउंटर छूने से काउंटर भी संक्रमित हो जाता है । उसके बाद अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति उस काउंटर को छू ले तब उसके संक्रमित होने की संभावना उत्पन्न हो जाएगी। केवल काउंटर की ही बात नहीं है। दुकान की जिस वस्तु को भी संक्रमित व्यक्ति छू लेगा , उस वस्तु से संक्रमण फैलने की संभावना पैदा हो जाएगी। हालाँकि घबराने की बात नहीं है ,बल्कि सावधानी बरतने की बात है । हर ग्राहक को प्रवेश से पहले सैनिटाइजर लगाकर हाथों को शुद्ध किया जाता है । इससे काफी बचाव हो जाता है ।”
सुनकर दुकानदार बंधु सजग होकर खड़े हो गए । कहने लगे ” लॉकडाउन को तो बहुत-बहुत धन्यवाद, जिसमें हमें कोरोना की चपेट में आने से बचा लिया।”
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लेखक: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451