लॉकडाउन की अच्छाइयां
लॉकडाउन,,एक बुरा दौर ही सही,
पर कुछ अच्छाइयाँँ समेटे है यही।
फिर पच्चीस साल पीछे चले गये,
परिवार का महत्व फिर समझ गये।
बाप बेटे साथ बैठ खाना खाने लगे,
रामायण, महाभारत फिर आने लगे।
नौकर-चाकर का महत्व समझने लगे,
खुद झाड़ू-पौंछा, बरतन करने लगे।
कहीं छुपे थे कैरम,लूडो,ताश के पत्ते,
फिर वापिस आ गए सभी खेलने इकट्ठे।
बच्चों को भी साथ मिला परिवार का,
समझ आया सबको महत्व परिवार का।