लैला, मजनू उपर गए,
लैला, मजनू उपर गए,
मिलन वहाँ भी ना मिला l
एक को जन्नत मिली,
दूजे को दोजख मिला ll
न्याय करने वाले सब ,
यहीं के खूसट बूढ़े बंदे थे l
समाज के ठेकेदारों को,
वहाँ भी दिल ना मिला ll
अरविद व्यास “प्यास”
व्योमत्न
लैला, मजनू उपर गए,
मिलन वहाँ भी ना मिला l
एक को जन्नत मिली,
दूजे को दोजख मिला ll
न्याय करने वाले सब ,
यहीं के खूसट बूढ़े बंदे थे l
समाज के ठेकेदारों को,
वहाँ भी दिल ना मिला ll
अरविद व्यास “प्यास”
व्योमत्न