ले आओ बरसात
जंगल झाड़ी सूखी सारी,
सूखी सारी घास।
काले-काले बादल भैया,
ले आओ बरसात।।
तपती रहती सड़कें सारी,
पगडण्डी की रेत।
तेज धूप में मिट्टी फटती,
सहमे सारे खेत।
जनमानस की पीर हरो अब,
हम सब जोड़े हाथ।
काले-काले बादल भैया
ले आओ बरसात।।
जंगल के हालात जानकर,
चिंता में है बाघ।
वन्य प्राणियों के जीवन में,
भूख-प्यास की आग।
नदियाँ नाले भर दो सारे,
दे जाओ सौगात।
काले-काले बादल भैया
ले आओ बरसात।।
गाँव शहर में बिदरी पूजन,
कथा पढ़े श्लोक।
जिसकी जितनी शक्ति भक्ति,
वैसा लाये भोग।
गली-गली में निकल रही है,
मेंढक की बारात।
काले-काले बादल भैया,
ले आओ बरसात।।
संतोष बरमैया #जय