लेखनी मेरी
ख्वाबों मैं नहीं हकीकत में लेखनी मेरी टकरार करें
दो प्रेमियों के प्रेम का जैसे इकरार करें
भारत माता के चरणों का बखान और अभिमान करें
चले जब अधर्म की हवा लेखनी तलवार बन बार करें
यह कौन चित्रकार है यह कौन चित्रकार है प्रकृति का दर्पण बार-बार करें
रीति-रिवाजों संस्कृति की झंकार बार-बार करें अनेकता में एकता देश मेरा महान इस बात का इजहार हजार बार करें
समाज की बुराईयों और देशद्रोहियों का प्रतिकार तार तार करें
रचनाकार मंगला केवट होशंगाबाद मध्य प्रदेश