लेखनी का व्यक्तित्व
लेखनी लेखक का बहुमूल्य हथियार है ,
लेखनी से ही होती शब्दों की बौछार है !
लेखनी एक जीवन साथी सी लगती है ,
जिससे सब बयां कर देने में खुशी मिलती है !
लेखनी से शब्द यू निकलते हैं,
जैसे दिलों से जज्बात उमडते हैं!
लेखनी से जैसे भाव कागज पर उतरते हैं,
वैसे ही पाठक अपने ख्यालों में बिचरते हैं !
भूल जाते हैं अपनी स्थिति वर्तमान,
याद आते हैं उन्हें अपने अरमान !
मानो अतीत उनके अरमानों की अमूल्य निधि हो ,
अतीत को याद दिलाने की लेखनी ही विधि हो !
लेखनी नहीं लेखक के जज्बातों की निशानी है ,
जिससे कभी मां कभी पिता पुत्र देश प्रेम की लिखी कहानी है !
लेखनी ने तो समय दर समय इतिहास ही बदल दिए ,
जो कभी हुआ करते थे रिवाज आज कानून कर दिए !
लेखनी लेखनी नहीं अद्भुत हथियार है ,
बिना मार के ही जज्बातों पर शब्दों का प्रहार है !