लेखक का फर्ज _____ कविता
लेखक का फर्ज निभाते हैं, लेखनी अपनी चलाते हैं।
दिखते कहीं जो घाव, मरहम भावना का लगाते हैं ।।
कलम को रोकने हमारी कई लोग आते हैं।
अपने लेखन कर्म से ही हम उन्हें आजमाते हैं।।
क्यों? डरे हम सच सच ही तो बताते हैं।
कलम से दोस्ती की है तो साथ उसका निभाते हैं।।
ना छोड़ेंगे सच्चाई का पथ हम यही कसम खाते हैं।
लेखनी को सदा से ही लोगो यथार्थ भाते हैं।
तभी तो मन के भाव कागज पर उतार पाते हैं।।
“दर्पण” समाज को हम तो सच्चा दिख लाते हैं।
“अनुनय” हम कहां किसी को डराते धमकाते हैं।।
राजेश व्यास अनुनय