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24 Jul 2022 · 1 min read

लेके काँवड़ दौड़ने

लेके काँवड़ दौड़ने,ज्ञानी कभी न जाय,
मूरख दौड़ लगा रहे, उल्लू बनकर भाय।
उल्लू बनकर भाय, कभी ना कावड़ ढोयें
पढ़ लें गीता ज्ञान,समय को यूँ ना खोयें।
लेकर काँवड़ हाथ, “जटा” ना माथा टेके,
खुश रहता दिन रात,कर्म का काँवड़ लेके।।
✍️जटाशंकर”जटा”
24/07/2022

2 Likes · 1 Comment · 308 Views

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