*** ” लेकिन…! सिर्फ मेरी कविता हो तुम ” ***
*** :: कैसी विशिष्ट रचना हो तुम ,
प्रकृति की अनुपम देन हो तुम ।
नर की नारी हो तुम ,
माया की सरिता हो तुम ।
लेकिन..!
सिर्फ मेरी कविता हो तुम…..!!
सारे जहां में न्यारी हो तुम ,
जन्नत से भी प्यारी हो तुम ।
ख़्वाबों की अनामिका हो तुम ,
मस्ती लिये मन की मल्लिका हो तुम ।
लेकिन…..!
सिर्फ मेरी कविता हो तुम…..!!
*** :: नयन दृष्टि से अगोर हो तुम ,
फिर भी नजरों के नजारे हो तुम ।
रजनी की शीतल चाँद हो तुम ,
पपीहा के प्यास हो तुम ।
मोती-मृणाल से अनमोल हो तुम ,
मेरे सुरों की हर ताल हो तुम ।
लेकिन….!
सिर्फ मेरी कविता हो तुम…..!!
धड़कन की हर स्पंदन हो तुम ,
किशोर जवां की चाहत हो तुम ।
पागल-दीवाने की मंजिल हो तुम ,
शराबी की शबाब हो तुम ।
मधुशाला-सी जाम हो तुम ,
हर कल्पना की आकार हो तुम ।
लेकिन….!
सिर्फ मेरी कविता हो तुम…….!!
*** :: जायसी की ग्रंथावली ‘ पद्मावत ‘ हो तुम ,
मैथिलीशरण की ‘ साकेत ‘ हो तुम ।
तुलसी की ‘ रत्ना ‘ हो तुम ,
घनानंद की अमर ‘ सुजान ‘ हो तुम ।
भास्कर की ‘ लीलावती ‘ हो तुम ,
‘ शाकुन्तलम् ‘ हो कालीदास की तुम ।
लेकिन…..!
सिर्फ मेरी कविता हो तुम…..!!
‘ मुमताज़ ‘ हो शाहजहां की तुम ,
हो ‘ चित्रकारी ‘ बेमिसाल ,
मकबूल हुसैन की तुम ।
मिर्ज़ा ग़ालिब की कलाम हो तुम ,
हर शायर की ग़ज़ल हो तुम ।
परवाने सलिम की ‘ अनारकली ‘ हो तुम ,
सरगम हो सात सुरों की तुम ।
लेकिन….!
सिर्फ मेरी कविता हो तुम…..!!
*** :: चित की चोरनी हो तुम ,
मन की मोरनी हो तुम ।
मन-मोहन की ‘ राधिका ‘ हो तुम ,
शिवा की ‘ गौरी ‘ हो तुम ।
राम की वैदेही सीता-सी…
अतुल्य योग हो तुम ।
प्रियतम् की प्रियतमा खोज हो तुम ।
लेकिन….!
सिर्फ मेरी कविता हो तुम…..!!
चितवन की मधुर कानन हो तुम ,
चमन की हर कली हो तुम ।
मादक-पराग लिये…
मतवाले भौरों की गुंजन हो तुम ,
दीवाने पागल की पहिचान हो तुम ।
मन की हर मुराद हो तुम ,
हर सवाल की जवाब हो तुम ।
लेकिन….!
सिर्फ मेरी कविता हो तुम…..!!
कल की पुकार थी तुम ,
आज की आवाज हो तुम ।
कल की पुकार भी हो तुम ,
मन वीणा की हर ‘ तार ‘ भी हो तुम ।
लेकिन….!
आज… अभी… और कल भी…
सिर्फ मेरी ” कविता ” हो तुम….!!
सिर्फ मेरी ” कविता ” हो तुम…..!!
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* बी पी पटेल *
बिलासपुर (छत्तीसगढ़ )
०४ / १० / २०२०