Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jun 2023 · 1 min read

लू, तपिश, स्वेदों का व्यापार करता है

लू, तपिश, स्वेदों का व्यापार करता है
जून खता यह हर बार करता है ।
a m prahari

359 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Anil Mishra Prahari
View all
You may also like:
सत्य
सत्य
Dinesh Kumar Gangwar
रंग   तिरंगे  के  सभी , देते हैं   आवाज ।
रंग तिरंगे के सभी , देते हैं आवाज ।
sushil sarna
हमने देखा है हिमालय को टूटते
हमने देखा है हिमालय को टूटते
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
“ गोलू का जन्म दिन “ ( व्यंग )
“ गोलू का जन्म दिन “ ( व्यंग )
DrLakshman Jha Parimal
कोहरा
कोहरा
Dr. Mahesh Kumawat
रोटियों से भी लड़ी गयी आज़ादी की जंग
रोटियों से भी लड़ी गयी आज़ादी की जंग
कवि रमेशराज
Don't lose a guy that asks for nothing but loyalty, honesty,
Don't lose a guy that asks for nothing but loyalty, honesty,
पूर्वार्थ
महात्मा गांधी
महात्मा गांधी
Rajesh
चित्र और चरित्र
चित्र और चरित्र
Lokesh Sharma
वो हमें कब
वो हमें कब
Dr fauzia Naseem shad
सही ट्रैक क्या है ?
सही ट्रैक क्या है ?
Sunil Maheshwari
संवेदनशीलता,सहानुभूति,समानता,समरसता,सहिष्णुता, सत्यनिष्ठा,सं
संवेदनशीलता,सहानुभूति,समानता,समरसता,सहिष्णुता, सत्यनिष्ठा,सं
Rj Anand Prajapati
रोटी
रोटी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
मुक्तक...छंद पद्मावती
मुक्तक...छंद पद्मावती
डॉ.सीमा अग्रवाल
ये राम कृष्ण की जमीं, ये बुद्ध का मेरा वतन।
ये राम कृष्ण की जमीं, ये बुद्ध का मेरा वतन।
सत्य कुमार प्रेमी
क्या ग़ज़ब वाक़या हुआ
क्या ग़ज़ब वाक़या हुआ
हिमांशु Kulshrestha
दिवाली है दीपों का पर्व ,
दिवाली है दीपों का पर्व ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
मं
मं
*प्रणय*
शकुन सतसई ( दोहा संग्रह) समीक्षा
शकुन सतसई ( दोहा संग्रह) समीक्षा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मुस्कान
मुस्कान
Surya Barman
या तो लाल होगा या उजले में लपेटे जाओगे
या तो लाल होगा या उजले में लपेटे जाओगे
Keshav kishor Kumar
रिश्ता चाहे जो भी हो,
रिश्ता चाहे जो भी हो,
शेखर सिंह
" सूत्र "
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िंदगी का दस्तूर
ज़िंदगी का दस्तूर
Shyam Sundar Subramanian
मौसम जब भी बहुत सर्द होता है
मौसम जब भी बहुत सर्द होता है
Ajay Mishra
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
Bhupendra Rawat
मिथिला बनाम तिरहुत।
मिथिला बनाम तिरहुत।
Acharya Rama Nand Mandal
*जीने न दें दो नीले नयन*
*जीने न दें दो नीले नयन*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
3291.*पूर्णिका*
3291.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...