चाँद
काले – काले, सफेद – सफेद
गझिनें पुष्ट बादलों में ही यह,
लुक्का – छुपी का खेल खेलते,
कभी अर्द्ध कभी पूर्ण दिखते,
वह चमकता सुनहरा चाँद है।
पूर्ण रूप चाँद अवलोकन में ,
लगता सितारा का पिटारा है ,
चंदा मामा, चंदा मामा करता ,
कहते सभी नर – मनुज यहाँ ,
वह चंदा मामा कहलाता है।
तारों के दरम्यान चमकतीं ,
भिन्न – सी अवलोकती है ,
गोल गढ़ने पर इसके यहॉं ,
भिन्न दीप्त का आमद होता,
वह दिव्य ज्योति चाँद है।
जगत पर इनकी मनुज
करते रहते अर्चना है,
सब मानते इनको सुर ,
ऐसा अनमोल गोला है,
वह गोल पिटारा चाँद है।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या