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10 Feb 2024 · 1 min read

लिख रहा हूं।

दोस्ती में खाए ज़ख्मो का हिसाब लिख रहा हूँ,
तेरे सभी सवालों का मैं जवाब लिख रहा हूं।

वो कौन लोग हैं जो बाहों में सुकून ढूंढते हैं?
मैं सुकून का मतलब कलम से लिख रहा हूँ।

दर्द, ग़म, बेवफ़ाई, सब समेट लिया है मैंने,
अब बिखरे पन्नो से किताब लिख रहा हूँ।

जितने भी दगाबाज लोग हैं मेरे जीवन में
सबका धीरे–धीरे मैं हिसाब लिख रहा हूं।

© अभिषेक पाण्डेय अभि

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