लिख नई इबारत
*गीत
कैद न करके रख अपने सपनों को l
अन्तर्मन की खिड़की खुला छोड़ दो ll
गर कदम बढाना मंज़िल हैं पाना l
मायावी बंधन को चलो तोड़ दो ll
अचल हिमाला सा साहस है तुझमें l
काबू में रख मुश्किलें बवंडर को ll
लिख नई इबारत ….
ये जीवन अतीत में बरबाद न कर l
जरा झाँक ले अन्तर्मन का दर्पन ll
आलोकित कर मन को ज्ञान दीप से l
तू अब खुद सूरज चांद सितारे बन ll
अभी दूर मंज़िल रफ्तार तेज कर l
तुमको भी है छूना अगर शिखर को ll
लिख नई इबारत ….
पागल जोकर कहते है कहने दो l
तू उठ कुछ कर दिखा जहाँ से हटकर ll
माना दुश्मन बाहर जग सारा हैं l
पर लड़ अंदर के दुश्मन से डंटकर ll
नाविक और नईया तू ही बन जा l
और पार कर बाधा के सागर को ll
लिख नई इबारत को ….
✍दुष्यंत कुमार पटेल चित्रांश