लिखे क्या हुजूर, तारीफ में हम
(शेर)- क्या खूबसूरती पाई है आपने, माहताब लगते हो।
क्या हसीन चेहरा है आपका, एक गुलाब लगते हो।।
बनाया होगा फुर्सत में खुदा ने, आपको मेरे सनम।
नहीं है कोई जमीं पर आप सा, आफताब लगते हो।।
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लिखे क्या हुजूर, तारीफ में हम।
बहुत खूबसूरत, तुम हो सनम।।
तुम्हारी कसम, तुम्हारी कसम।—-(2)
लिखे क्या हुजूर———————।।
चिलमन हटाकर, करो बात हमसे।
छुपाओ नहीं तुम ,कोई राज हमसे।।
करने दो दिल को, दीदार तुम्हारा।
बहुत हो हसीन तुम, मेरे सनम।।
तुम्हारी कसम, तुम्हारी कसम।—-(2)
लिखे क्या हुजूर———————।।
नहीं कोई चुरा ले, आपसे हमको।
छुपा लो सनम तुम, बाँहों में हमको।।
नजर नहीं लगे,हमको किसी की यहाँ।
करो नहीं तारीफ, इतनी सनम।।
तुम्हारी कसम, तुम्हारी कसम।—–(2)
लिखे क्या हुजूर———————।।
घनघोर जुल्फें, ये नैन शराबी।
हिरणी सी चाल, ये होंठ गुलाबी।।
करती है मदहोश, ये तेरी पायल।
तुम अप्सरा हो, जमीं पे सनम।।
तुम्हारी कसम, तुम्हारी कसम।—-(2)
लिखे क्या हुजूर———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)