लिखें हैं नगमें जो मैंने
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लिखें हैं नगमें जो मैंने, ये याद किसकी दिलायेंगे।
किसकी बनेंगे दास्तां ये, रोशन किसको करेंगे।।
लिखें हैं नगमें जो मैंने———————।।
कई रंगों की तस्वीर है, हजारों चेहरे हैं इनमें।
हजारों ख्वाब है इनमें, नसीब लाखों हैं इनमें।।
लिखें हैं किस्से जो मैंने, ये याद किसकी दिलायेंगे।
किसकी बनेंगे दास्तां ये, रोशन किसको करेंगे।।
लिखें हैं नगमें जो मैंने——————–।।
ये ही वसीहत है मेरी, ये ही संसार है मेरा।
ये ही मेरी मोहब्बत है, ये ही सम्मान है मेरा।।
लिखें हैं खत जो मैंने, ये याद किसकी दिलायेंगे।
किसकी बनेंगे दास्तां ये, रोशन किसको करेंगे।।
लिखें हैं नगमें जो मैंने——————-।।
अच्छे लगे जो दिल को, उनकी तारीफ भी की है।
बेचते हैं मोहब्बत को जो, उनसे नफरत भी की है।।
महकाये हैं गुल जो मैंने, ये याद किसकी दिलायेंगे।
किसकी बनेंगे दास्तां ये, रोशन किसको करेंगे।।
लिखें हैं नगमें जो मैंने——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)