लिखते रहे अपना चिंतन —— गजल/ गीतिका
बीती प्रतियोगिता बरसात की,
अब और कोई बात हो जाए।
लिखते रहें अपना अपना चिंतन,
अपने लेखन से मुलाकात हो जाए।।
आपने लिखा हमने लिखा, तजुर्बा तो सीखा है,
पढ़ने से छूट गए हो एक दूजे को उनके साथ हो जाएं।।
क्या पता रचना कौन सी प्रेरणा बने हमारे लिए,
भावी जीवन के कर्मों में, उनकी बरसात हो जाए।।
**सभी चिंतकों,कवियों,लेखकों,गीतकारों,गजलकारों,शिक्षकों,आदि _ आदि को सादर प्रणाम?????
राजेश व्यास अनुनय