लिए फिरते हो दिल अपना
लिए फिरते हो दिल अपना, मुझे क्यो दे नहीं सकते।
रखूँगा दिल में दिल को मैं, मुझे क्या दे नहीं सकते।।
तड़फता मैं फिरू जग में, मुझे क्यो दे नहीं सकते।
संभालूगा इसे दिल से, मुझे क्या दे नहीं सकते।।
लिए फिरते हो दिल अपना, मुझे क्या दे नहीं सकते।
भरोसा करके देखो तो, कहीं फिर जा नहीं सकते।।
दर्द सब जानता तेरे, मुझे अपना नहीं सकते।
नहीं टूटेगा वादा है, भरोसा कर नहीं सकते।।
लिए फिरते हो दिल अपना, मुझे क्यो दे नहीं सकते।
करी दिल से बहुत बातें, कहो तो हदो को पार करदूँ मैं।।
तुझे दिल में छुपा करके, कहो तो भव से पार करदूँ मैं।
बहुत दिल में जख्म तेरे, कहो तो प्यार करदूँ मैं।।
लिए फिरते हो दिल अपना, मुझे क्या दे नहीं सकते।
नहीं मुझसा कोई जग में, तेरा हमराज़ कहदूँ मैं।।
नहीं तुझसा कोई जग में, मेरा हमराज़ कहदूँ मैं।
तुझे पाना नहीं मकसद, तेरा बनना है कहदूँ मैं।।
लिए फिरते हो दिल अपना, मुझे क्यो दे नहीं सकते।
तड़फ है ये मेरे दिल की, तुझे दिल में छुपालूँ मैं।।
बनाके आज तुझको मैं, तुझे दिल में बसालूँ मैं।
बड़ी मुश्किल है ये राहे, तुझे दिल से लगालूँ मैं।।
लिए फिरते हो दिल अपना, मुझे क्या दे नहीं सकते…
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“ललकार भारद्वाज”