लाश
लाश का चेहरा पुरसुकून था ।
उस पर गज़ब का नूर था ।
लगता था नाच उठेगा ।
मरने में क्या कोई लुत्फ था ?
दरअसल उस गरीब को
ज़िंदगी ने हर पर ठुकराया था ।
मौत ने उसे गले लगाया था ।
लाश का चेहरा पुरसुकून था ।
उस पर गज़ब का नूर था ।
लगता था नाच उठेगा ।
मरने में क्या कोई लुत्फ था ?
दरअसल उस गरीब को
ज़िंदगी ने हर पर ठुकराया था ।
मौत ने उसे गले लगाया था ।