लाशों पर लाशें बिछी
लाशों पर लाशें बिछी , परिवर्तित परिवेश !
कुदरत से उलझें नही,समझें सत्य “रमेश” !!
दोषी इसका कौन है,…….सोचो करो विचार !
हुए अगर इक चूक से. ,लाखों जहां शिकार !!
रमेश शर्मा.
लाशों पर लाशें बिछी , परिवर्तित परिवेश !
कुदरत से उलझें नही,समझें सत्य “रमेश” !!
दोषी इसका कौन है,…….सोचो करो विचार !
हुए अगर इक चूक से. ,लाखों जहां शिकार !!
रमेश शर्मा.