*लाल हैं कुछ हरी, सावनी चूड़ियॉं (हिंदी गजल)*
लाल हैं कुछ हरी, सावनी चूड़ियॉं (हिंदी गजल)
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1)
लाल हैं कुछ हरी, सावनी चूड़ियॉं
गंध माटी भरी, सावनी चूड़ियॉं
2)
जाति मत पंथ से, यह परे दृश्य है
देश गातीं खरी, सावनी चूड़ियॉं
3)
पेड़ की डालियॉं, मेघ झरने नदी
रूप की अनुचरी, सावनी चूड़ियॉं
4)
जब कलाई सजी,कॉंच के मोल से
देह करतीं परी, सावनी चूड़ियॉं
5)
एक यह सनसनी, एक माधुर्य है
एक जादूगरी, सावनी चूड़ियॉं
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451