लाल हिन्दू हरा मुस्लमान
लाल हिन्दू हरा मुसलमान देखिये
आज मेरी महजबी जुबान देखिये
मानवता को रखा अपने पांव तले
इंसानियत को रोंद्ता इंसान देखिये
हर पल कांटें बिछाता राहों मेँ सबके
गुनाह की जीती जागती दुकान देखिये
कोई कहता गीता को फेंक दो कूड़े में
कही जलता हुआ वेदो कुरआन देखिये
कोई माँ कक दूध लजवाता अम्बी बनके
और कोई बनाता अपना हिन्दुस्तान देखिये
कोई पहुँच गया चाँद और मंगल पर यारोँ
और यहाँ भेदभाव पर होता मतदान देखिये
अशोक पथभृष्ट हो गए नेता आज क्या करें
नेता के लिए बदल जाता यहाँ सँविधान देखिये
अशोक सपड़ा हमदर्द की क़लम से दिल्ली से