सासूमां का मिजाज
सासुमां का बदलता अंदाज,
जैसा कि मौसम का मिजाज,
बगैर बात भी हो जाती नाराज,
आ जाती वातावरण में गरमाहट,
समझ नहीं आती मन की बात,
कभी गुस्सा उड़ जाता ज्यों भाप,
मन करता तभी लेती चैन की सांस,
सासुमां से तारीफ मिलती सौगात
अजी,किस्मत खुली मेरी आज
मेरी बहु पर है मुझको नाज..
मन भ्रम,,कितनी अच्छी मेरी सास!!
तारीफ के पुल क्यों रही बांध..!!
कोई तो है ऐसी-वैसी बात…
खोजा टटोला..पता चला..
आज गांव से आ रही मेरी दादी सास।।
– सीमा गुप्ता