लाल रंग के फूल
जंगल में
जितने भी पेड़ खड़े हैं
उनपर बस लाल रंग के ही
फूल खिलें
किसी और रंग के नहीं
बस फूल ही फूल हों
कोई पत्ता भी नहीं
फूल भी हों बिना खुशबू के
बिना चाहत के
बिना मोहब्बत के
बस आंखों को लुभाते हों
टूटकर भी जमीन पर न
गिरते हों
बस पेड़ के हृदय से
चिपककर
इसकी शाखों से लटके रहते हों
पतझड़ में भी इससे वफा
करते हों
सूखे पत्तों की तरह
एक एक करके
इसे छोड़कर न जाते हों।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001