लाल बचा लो इसे जरा👏
लाल बचा लो इसे जरा
🌵 🌵 🌵 🌵 🌵
लाल बचा लो इसे जरा
धरा धरती चीख रही
लाल बचा लो मुझे जरा
जगह पड़ी कूड़ा कर्कट
देख प्राण वायु रो रहा
अणु परमाणु के कण
लघु से विस्तृत हो रहा
नभ छिद्रित ब्लैक होल प्रदूषण
घातक किरणें विविध विषाणु
कोरोना कोहराम मचा रहा
ताण्डव लीला दिखा रहा
त्राहिमाम आमंत्रित हो रहा
गुरुत्वाकर्षण के डगमग से
रत्नागिरी कोप तरंगित हो
प्रकृति प्रकोप दिख रहा
लाल बचा लो इस जरा
बेचैन हवा निर्वाक हो
जन मानस चेता रहा
पवन का दम घूंट रहा
रोग विषाणु बढ रहा
प्राणी दम तोड़ रहा
विस्फोटक जनसंख्या वृद्धि
भू भार को बढ़ा रहा
लाल समझा इसे जरा
रोटी कपड़ा और मकान
अन्न जल कृषि कम हो
जन तनाव सोच ब्यग्रता
तन जन उम्र घटा रहा
वायु ताप बढ़ा रहा
खौलता जिस ताप से
जल अब प्राणी तन
उबल रहा ग्लोबल वार्मिग
पग पग घंटी बजा रहा
भूचाल की अगाह सुन
बसंधुरा चीख पुकार रही
लाल बचा लो मुझे जरा
जन सहन शक्ति घट गई
तन मन दुर्बल हो रहा
जलवायु परिवर्तन क्षण
प्रतिदिन संदेश भेज रहा
लाल समझा दो इसे जरा
ममता प्रेम खत्म हो गई
ईर्ष्या योजन बढ़ा रहा
मानवता खत्म हो रही
विनम्रता खड़े पड़े देख रहा
बेटे बेटी भ्रमित हो लम्बी
जीवान रेखा मिटा रही
धरणी रक्त रंजित हो
होली से पहले होली
मस्तिष्क खून बढ़ा रहा
लाल बचा लो इसे जरा
दिल कठोर लाल आंख
करुणा दया दम तोड़ रहा
तिनके तिनके सुलग रहा
आपसी अंगार तेज हो रहा
अंगार बुझा श्रृंगार बचा
सौभाग्य सितारा टूट रहा
उमंग तरंग तिरंगा झांक रहा
स्वार्थ जन जन समा रहा
मानुष मानुष उलझ रहा
बेदर्दी दर्द से आंसु रक्त
संचार इक अँधेरा ला रहा
डरी गंगा नजदीकी से
दूरी बना किनारा दे रहा
तट श्रृंगी तीब्र नाद कर
धरणी धर वक्ष पाणि से
हाय हाय कर पुकार रही
लाल बचा लो मेरी कली
पुकार रही वसंधरा हाय
रे हाय मेरे आंखो का तारा
नयनों का प्यारा क्षण क्षण
आज कुदृष्टि शिकार हो रहा
लाल बचा लो इसे जरा
तारकेश्वर प्रसाद तरूण