लाल फूल गवाह है
तेरी बेवफ़ाई का ,ये लाल फूल गवाह है।
लौट कर न आये, इंतज़ार में हर राह है ।
कभी तेरा नाम था दिल की हर धड़कन पर
देखना कभी आ कर ,टूटता हर साह है।
तेरे घर के आगे से , गुज़रते हैं सजदा करके
तुम नहीं आये ,तुमको न कोई प्रवाह है।
बहुत आसान था तेरे लिए, भूलना मुझे
मगर भूलना तुझे, मेरे लिए तो गुनाह है।
वफ़ा करने वाले , मिलते हैं जाने कहां
बख्श खुदा मुझे, मांगी तेरी पनाह है ।
सुरिंदर कौर