लाल गुलाब
तुम्हारी खुशबू में लिपटा वो खत,
रखा है आज भी सम्भाल कर ।
साथ वो लाल गुलाब भी
जो गुलाबी साँझ के पहलू मे बैठ,
तुमने मेरे बालों में सजाये थे।
तुम्हारी याद के जुगनू जब भी ,
जगमगा उठते हैं,निकाल लाती हूँ।
मेरी डायरी से वो खत और ,
वो गुलाब भी ,जो मुरझाया तो है !
पर अहसास अब भी वही हैं ।
सुनो, गुलाबों का मौसम ,
एक बार फिर आ कर गुजरने को है।
साथ मैं भी जी रही हूँ ,
यादों के साथ हर उस पल में ।
जिसमें तुम हो और तुम्हारा दिया ,
वो लाल गुलाब ।?
©️®️पल्लवी रानी❤
पूर्णतः मौलिक अधिकार
कल्याण (महाराष्ट्र)