लाल उस खूँ कि शहर मे जो बारिश होगी।
लाल उस खूँ कि शहर मे जो बारिश होगी।
ना-शनासी-ए-कज़ा मसनदी साज़िश होगी।
शौक़ से जिस्म-फ़रोशी नईं करती लड़की
रात-भर जिस्म बचाने कि गुज़ारिश होगी।
आए मक़्तल मे है नाज़िम कुछ क़ाइद बनकर
तख़्त दिल्ली को भी पाने कि जो ख़्वाहिश होगी।
है जो आँखों कि चमक में इक क़ामत-ए-‘अक्स
उस के होठों पे तिरे नाम कि लर्ज़िश होगी।
मुतरिबो बज़्म में जाओ जो कभी तुम उनकी
बात वहशत से मिले इश्क़ में फ़ाहिश होगी।
कर गया रेप सरे-आम वो हाक़िम-ज़ादा
और मासूम के घर-वालो से पुर्सिश होगी।
तीरगी में है वो मुफ़्लिस उस घर मे कब से
उन हवाओ से चरागों कि सिफ़ारिश होगी