Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jul 2023 · 2 min read

#लालकोट से डंका

✍️

●●●| #लालकोट से डंका |●●●

आर्यावर्त न रहा न जम्बूद्वीप शेष है
जो बच रहा है भारत उस पर भी क्लेश है
लुटेरे कहाएं संत जहाँ दानव महान हैं
जो धर्महीन हो गया वो मेरा देश है

आज फिर बजाएं डंका लालकोट से
पिट गया खिलाड़ी ग़द्दारी की गोट से . . .

दासों की मंडली का बड़का यह दास है
मालिक की नज़र में रुतबा इसका ख़ास है
उसी के गीत गा रहा जग को रहा बता
कोई कुछ पुकारे नाम मेरा चरणदास है

भाग्य बिगड़ा बिगड़े कर्मों की खोट से
पिट गया खिलाड़ी ग़द्दारी की गोट से . . .

आने का दर खुला यहाँ से जाने का बंद है
इमारत है शानदार दरवाज़ा बुलंद है
जीने का ढंग बदलो अगर जीने का शौक हो
मेहमान की गरज में वोटों का फंद है

कुर्सियों का खेल दिखता धर्मशाला की ओट से
पिट गया खिलाड़ी ग़द्दारी की गोट से . . .

जो न कर सके लुटेरे उस काली रात में
अगड़े – पिछड़ों में बंट गए उगती प्रभात में
आँखों का रंग और लफ़्ज़ों का और है
रामज़ादे – आरामज़ादे सब एक साथ में

गालों का रंग लाल हुआ चाँटों की चोट से
पिट गया खिलाड़ी ग़द्दारी की गोट से . . .

टुकड़ों में कटा पँचनद फिर भी उबल रहा
अंग भंग हुआ बंग अभी भी है जल रहा
न द्रष्टा न विज्ञ न करुणा की बूंद है
कुविचार का हथौड़ा दक्षिण मसल रहा

रक्तपिपासु ब्रह्मपुत्र में दिखते हैं पोत – से
पिट गया खिलाड़ी ग़द्दारी की गोट से . . .

नालंदा से मिले तक्षशिला सिंहलद्वीप जयकार हो
सागरमाथा के उस पार भी सद्विचार हो
हरीतिमा धरती पे हो मन केसर में हों रंगे
झूठ और पाखंड न किसी का यार हो

युग पलट जाए आपस की जोट से
पिट गया खिलाड़ी ग़द्दारी की गोट से . . . !

९४६६०-१७३१२

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)

Language: Hindi
40 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अकेला खुदको पाता हूँ.
अकेला खुदको पाता हूँ.
Naushaba Suriya
राष्ट्रीय गणित दिवस
राष्ट्रीय गणित दिवस
Tushar Jagawat
Miracles in life are done by those who had no other
Miracles in life are done by those who had no other "options
Nupur Pathak
आओ हम सब मिल कर गाएँ ,
आओ हम सब मिल कर गाएँ ,
Lohit Tamta
अंबर तारों से भरा, फिर भी काली रात।
अंबर तारों से भरा, फिर भी काली रात।
लक्ष्मी सिंह
झुका के सर, खुदा की दर, तड़प के रो दिया मैने
झुका के सर, खुदा की दर, तड़प के रो दिया मैने
Kumar lalit
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
मंजिल न मिले
मंजिल न मिले
Meera Thakur
*बोलो चुकता हो सका , माँ के ऋण से कौन (कुंडलिया)*
*बोलो चुकता हो सका , माँ के ऋण से कौन (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुझे अपनी दुल्हन तुम्हें नहीं बनाना है
मुझे अपनी दुल्हन तुम्हें नहीं बनाना है
gurudeenverma198
मौसम
मौसम
surenderpal vaidya
ज़िन्दगी में सफल नहीं बल्कि महान बनिए सफल बिजनेसमैन भी है,अभ
ज़िन्दगी में सफल नहीं बल्कि महान बनिए सफल बिजनेसमैन भी है,अभ
Rj Anand Prajapati
टूटी हुई उम्मीद की सदाकत बोल देती है.....
टूटी हुई उम्मीद की सदाकत बोल देती है.....
कवि दीपक बवेजा
मेरा चुप रहना मेरे जेहन मै क्या बैठ गया
मेरा चुप रहना मेरे जेहन मै क्या बैठ गया
पूर्वार्थ
आँखें
आँखें
Neeraj Agarwal
👍आज का एलान👍
👍आज का एलान👍
*प्रणय प्रभात*
पिता
पिता
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
2782. *पूर्णिका*
2782. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
राम रावण युद्ध
राम रावण युद्ध
Kanchan verma
"सूप"
Dr. Kishan tandon kranti
क्या ?
क्या ?
Dinesh Kumar Gangwar
To be Invincible,
To be Invincible,
Dhriti Mishra
बसंत आने पर क्या
बसंत आने पर क्या
Surinder blackpen
आइना देखा तो खुद चकरा गए।
आइना देखा तो खुद चकरा गए।
सत्य कुमार प्रेमी
दुनिया कैसी है मैं अच्छे से जानता हूं
दुनिया कैसी है मैं अच्छे से जानता हूं
Ranjeet kumar patre
ठहरी–ठहरी मेरी सांसों को
ठहरी–ठहरी मेरी सांसों को
Anju ( Ojhal )
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को...
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को...
Shubham Pandey (S P)
रूपसी
रूपसी
Prakash Chandra
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
कवि रमेशराज
मैं क्या जानूं क्या होता है किसी एक  के प्यार में
मैं क्या जानूं क्या होता है किसी एक के प्यार में
Manoj Mahato
Loading...