लाज बचा ले मेरे वीर – डी के निवातिया
देश भक्ति गीत
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क्यों वेदना शुन्य हुई, क्यों जड़ चेतन हुआ शरीर
अस्तित्व से वंचित हुए है कहाँ खो गए हो शूरवीर
नही सुनी क्या चीत्कार ,क्यों सोया है तेरा जमीर
पुकार रही है तुझको धरती माता, लाज बचा ले मेरे वीर – १
न ले परीक्षा अब मेरे धैर्य की बहुत हुआ अत्याचार
सहनशीलता दे रही चुनौती,,कैसे न करू चीख-पुकार
मिलकर लूटा जालिमो ने, हुई शर्म से, मैं जीण-क्षीण
पुकार रही है तुझको धरती माता, लाज बचा ले मेरे वीर – २
लांछन किसके सर मंढू सब ही तो ठहरे मेरे लाल
भूल गए क्यों अपनी मर्यादा, है जन-मानस बेहाल
कुछ तो लिहाज़ रक्खो शिष्टता का मत बेचो जमीर
पुकार रही है तुझको धरती माता, लाज बचा ले मेरे वीर – ३
रक्त रंजीत हु, अपने ही लहू से, घायल हुआ बदन
असहाय सी ताकती हूँ ,कैसे संवारु फिर से तन-मन
भूल गये क्यों अपनी परिसीमा,कहाँ सो गया महावीर
पुकार रही है तुझको धरती माता, लाज बचा ले मेरे वीर – ४
मै दुखयारी हूँ, बड़ी अभागन, जन्मे कैसे सर्वनाशी सपूत
जात – धर्म,,ऊँच- नीच,अमीर गरीब में बँट गए सारे कपूत
ह्रदय विदारक दृश्य पनपता,, शुष्क नैनों से छलकता नीर
पुकार रही है तुझको धरती माता, लाज बचा ले मेरे वीर -५
फिक्र नही मुझे मेरे असितत्व की, डरती हूँ तू क्या पायेगा
आँख गड़ाए दुशमन बैठे है, जाने कब तुझको होश आयेगा
शक्ति है गर तुझमे, फिर क्यों मेरा पल-2 होता हरण चीर
पुकार रही है तुझको धरती माता, लाज बचा ले मेरे वीर– ६
टूट रही हूँ , मैं थक रही हूँ, कैसे झेलू बेटो के शव का बोझ
नेता बन गदारी करते, मुझे तिल-तिल वो बेच रहे हर रोज़
किसके आगे दुखड़ा रोऊँ मै, क्या फुट गयी है मेरी तक़दीर
पुकार रही है तुझको धरती माता, लाज बचा ले मेरे वीर – ७
जग जननी, दुःख हरणी, बिन मांगे देती सुख अपार
ओजस्वनी, तेजस्वनी, लक्ष्मी-दुर्गा कैसी हुई लाचार
देखकर देश की हालत ,मेरा चित्त हुआ जाता अधीर
पुकार रही है तुझको धरती माता, लाज बचा ले मेरे वीर – ८
कब से आस लगाए बैठी हूँ, कब होगा बेटा जवान
मत बन गूंगा, मत बन बहरा, नहीं अब तू नादान
उठा धनुष, चढ़ा प्रत्यंचा,कमान में सजा तीक्ष्ण तीर
पुकार रही है तुझको धरती माता, लाज बचा ले मेरे वीर – ९
आ गया वक़्त, अब तुझे है, अपनी माँ का कर्ज चुकाना
पराक्रम,प्रताप, वीरता, साहस का कौशल अब दिखलाना
धधकती ज्वाला इस माँ के मन में फिर तू राखे काहे धीर
पुकार रही है तुझको धरती माता, लाज बचा ले मेरे वीर – १०
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डी के निवातिया