“लाचार हिन्दी”
जाने किस रोग का शिकार हुई हिन्दी,
अपने ही देश में लाचार हुई हिन्दी।
बच्चे पढ़ते कान्वेंट में, हिंदी का है नाम नहीं,
अंग्रेजी में शान निहित है, हिन्दी में है मान नहीं।
मम्मी, डैडी सबके लिए बेकार हुई हिन्दी,
अपने ही देश में लाचार हुई हिन्दी।।
पढ़ेगा बच्चा कान्वेंट में, जायेगा विदेश,
भूल गया अपनी संस्कृति, बना विलायती भेष।
हाय, हैलो, टाटा से शर्मसार हुई हिंदी।
अपने ही देश में लाचार हुई हिन्दी।।
साड़ी गई, धोती गई और गई बिन्दी,
बांग्ला, पंजाबी, मराठी गई सिन्धी।
कब तक देखोगे यार जाग उठो जल्दी
अपने ही देश में लाचार हुई हिन्दी।।
करो कुछ उपाय कि समृध्द होवे हिन्दी,
दुनिया जहान में प्रसिद्ध होवे हिन्दी।
नहीं तो हो जाएगी बेकार अपनी हिन्दी,
अपने ही देश में लाचार हुई हिन्दी।।