लाइट कैमरा और ऐक्शन
लाइट कैमरा और एक्शन
ये सिर्फ रंगमंच की कहानी नहीं है
.
ये कहानी है जिंदगी की
जहाँ शाम ढलने पर रात होती है और रात ढलने पर सुबह
अंगारे बरसते हैं जेठ की दुपहरी में
और अषाढ़ बुंदों पर तैरता उम्मीद बन बरस उठता है।
मचलने लगते हैं सब और फिर सब डुबने लगता है
बचते हैं किसी तरह
और सिहरन वाली मौसम जिंदगी में कदम रखती है
खुश हो जाते हैं सब
ओह सर्दी का मौसम…गुनगुनी धुप और थोड़ी सी शाम
साल बीत जाता है फिर से आता है और फिर से जाता है
इन सबके बीच अगर कुछ नहीं होता तो वो है
होश
क्योंकि होश की पहली शर्त है……तुम्हारा होना!
पर तुम तो..
आज की शाम:)
एक बात कहुँ वो कोई नहीं; जिसकी तलाश हाँ तुमको है
जीना तो बस हुनर है शायद बदहवास जब भी मौसम है
हार गये जो उस एक पल में तुम
फिर कोई नहीं शामिल तुम संग है।
©दामिनी नारायण सिंह।