योग और नीरोग
सदियों से है भारत में योग पुरातन पद्धति,
जो करती मानव का जन कल्याण,
पुरातन ऋषि – मुनियों की यह पद्धति,
सर्वजन को नीरोगी बनाकर करती सदा निहाल।
……………….
अनुलोम – विलोम की क्रिया करने से,
मनुष्य का मन सदैव रहता प्रसन्नचित्त,
इस क्रिया को करने से मन रहता सदैव हर्षमय।
…………
इंद्रियों को वश में करने के लिए,
ध्यानयोग भी है जरूरी,
ध्यानयोग कर,
इसी ध्यान योग की मुद्रा द्वारा,
ऋषि मुनियों ने बैकुंठ में पाया,
मनचाहा स्थान।
………….
विभिन्न योग मुद्राओं की महिमा भी कम नहीं,
मुद्राओं की क्रिया करने से मन रहता शांत और स्थिर,
और,
तन रहता नीरोग और काया रहती सुंदर।
…………….
हास्य आसन के फायदे हैं हज़ार,
हास्य आसन करने से चित सदैव रहता,
प्रसन्नचित्त और चेहरे पर चमक रहती बरकरार।
……..
अब तो भारत में इस पुरातन विधा को,
जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, और,
21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को,
जन्मदिवस के रूप मनाया जाता है।
………..
तो आओ मिलकर करें यह प्रण,
21 जून को जन- जन तक पहुंचाना है, और,
21 जून को विभिन्न योग आसन कर,
धरा और समाज को सुख समृद्ध, और,
खुशहाल बनाना है।
घोषणा – उक्त रचना मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है। यह रचना पहले फेसबुक पेज या व्हाट्स एप ग्रुप पर प्रकाशित नहीं हुई है।
डॉ प्रवीण ठाकुर
निगमित निकाय भारत सरकार,
शिमला हिमाचल प्रदेश।