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12 Jun 2023 · 1 min read

लहराती उमंग

स्वरचित कविता
लहराती उमंग

ये मंद हंसी
जो लब पे उस के आई
दिल में हुई गुदगुदी
एक उमंग सी लहराई ।

मीठी बात है प्रीतम की
या पुरानी याद आई
मन की सरलता देख
या तो खुद ही भरमाई ।

रास्ता लंबा था पर
पल में कट गया
सामने बैठी हसीना जो
मन ही मन मुसकाई।

कितना दूभर है ज़िंदगी में
किसी को हँसते देखना
इस हलचल की दुनिया में
अपना हो कर भी जैसे खो गया कोई अपना ।

आओ इकरार करें
मन का इज़हार करें
हर खुशी से सरोकार करें
ये दुनियाँ तो हम से ही है
सब का सत्कार करें ।
विनीता नरूला

Language: Hindi
131 Views
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