लहजा समझ आ जाता है
लहजा समझ आ जाता है
लहजा समझ आ जाता है मुझे हर किसी का..
बस उन्हें शर्मिंदा करना मेरे मिजाज़ में नहीं..!।
छुपे हुए दर्द को पहचान लेती हूँ मैं,अनकहे शब्दों को समझ लेती हूँ मैं।हँसी के पीछे छुपी हुई वेदना को,आँखों में छिपे हुए सपनों को।।
कभी-कभी लगता है, काश मैं बोल पाती,इन खामोश लफ्ज़ों को समझा पाती।लेकिन डर लगता है, कहीं किसी को ठेस न लगे,कहीं किसी का दिल न टूटे।।
इसलिए बस चुपचाप सुनती रहती हूँ,उनके दिल की धड़कन को महसूस करती रहती हूँ।और दुआ करती रहती हूँ,कि सबके सपने पूरे हों, सबके दिल खुश रहें।।
क्योंकि मेरा मकसद किसी को शर्मिंदा करना नहीं,बल्कि हर किसी को सहारा देना है।हर किसी के दर्द को समझना है,और हर किसी की खुशी में शामिल होना है।।
यह मेरा वादा है, यह मेरा सपना है,कि मैं हमेशा हर किसी के लिए मौजूद रहूँगी।एक दोस्त, एक सहारा, एक हमदर्द बनकर।।
और लहजा समझकर, उनका साथ दूँगी।ताकि कोई भी इस दुनिया में अकेला न रहे।।