लहज़ा तेरी नफरत का मुझे सता रहा है,
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लहज़ा तेरी नफरत का मुझे सता रहा है,
तुम ही करीब आये थे और तुम ही दूर जा रही हो…
खुदा जाने किस तरह का इश्क़ निभाया जा रहा है,
ग़र मेरी जिंदगी में आने से पहले कह दिया होता कि मेरे ज़ज्बात तेरे लिए मेहज़ खिलौने है,
तो दूर ही रहता तेरे इश्क़ और वफाई से,
मुझे इश्क़ की तलब लगाकर तुम इंकार करती हो,
यार… बड़ी मुश्किल में तुमने फसाया है मुझको!
सच कहो… ऐतबार नहीं था मुझपे या मुझसे दूर ही जाना था,
अपना कहना ही नहीं था या अपना बनाना ही नहीं था,
कैसे मुस्कुराते हुए आयी थी तुम और कैसे नफरत भरी निगाहों से घूरकर जा रही हो,
तुम्हें सिर्फ एक शिकायत का इंतज़ार था मुझसे दूर जाने को,
बेहतर यही होता कि.. तुझसे दिल लगाया ही नहीं होता !!
❤️ Love Ravi ❤️