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27 Feb 2021 · 1 min read

लव में ज़िहाद

मोहब्बत करके छिपाता हूँ, जालिम जमाने से ।
मुखबरी ना कर दे कोई, लवजिहाद के बहाने से ।।

कहता हूँ उससे, मोबाइल पर बात ना किया कर मेरा नाम ले लेकर ।
कहीं कोई शिरफिरा ना पकड़ ले तुझे, मेरी जाति धर्म के बहाने से ।

बैग में कुछ चार कपड़े चार महजब के डाल कर मेरे पास आया कर ।
भीड़ का माहौल मिज़ाज देख कर, बदल लिया कर किनारे से ।।

सीख ले अल्फ़ाज़ दूसरी बोली भाषा के, पूछे सामने बाला,
उसी भाषा में जबाब दे दिया कर मुस्कुराकर के ।।

मोबाइल की फ़ोनबुक में मेरे नाम चार रख लेना ।
अमर,अकबर,एंथोनी, मनमोहन सिंह रख लेना ।।

पहन ले चार ताबीज़ खूबसूरत गले में अपने ।
जैसा दिखे कोई वैसा ही उजागर कर देना ।।

बुरा ना मान मेरी जान, प्यार हो गया है मुश्क़िल जमाने में।
ये देश है अपना, मोहब्बत का घरोंदा यहीं सजाने दे।।

हमारी तकलीफें बहुत है कम, सोच जरा ऊपर बाले की ।
प्यार की है निसानी जो, क्या बीत रही होगी उस दीवाने की ।।

अब क्या मुँह दिखायेगा, जंगली जानवरों को वो ।
बड़ा डीग मारता था, बनाया मैंने दिमागी इंसानो को ।।

सभी छोड़कर झंझट, कोई नया समाधान करते है ।
वतन है मोहब्बत का, भारत-भारती अपना नाम रखते है।।

Language: Hindi
1 Like · 285 Views
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