लव जिहाद पर वार
प्रेम मोहब्बत या फिर धोखा, कत्ल करे बस काम यही।
भोली भाली लड़की देखी, फिर जाल बिछाना काम यही।।
तीस हजार केरल की लड़की, शिकार हुई फिर पता नही।
दिल्ली की श्रद्धा लखनऊ मे निधि, मारी गयी क्यो पता नही।।
टीना डाबी पढी लिखी और शिकार बनी क्यो पता नही।
अनपढ होया पढी लिखी, बस शिकार बनेगी पता नही।।
ऊंच जात या नीच जात बस, हिंदु होगी क्यो पता नही।
पूजा प्रिया नैना निकिता, गोली खाती क्यो पता नही।।
अनजना हो अनजाने मे, या फिर शालनी रहे शालीन बड़ी।
एकजुट हो जो विरोध कियाना, एकता तुम्हारी कटी पडी।।
रोज शहर चौराहो पे और स्कूलो मे ये जमात खड़ी।
राजू राजा अमन अरमान, बनके बाध कलावा फिरे वही।।
मिठी मिठी बाते करते, अपनो से ये लगते है।
अपना बनके फिरते रहते, अपने से वो लगते है।।
धीरे धीरे जहर घोलते, अपनो से फिर वो दूर करे।
मां बापू की मान मर्यादा, इन सब से वो दूर करे।।
खेल जिहादी शुरू हुआ अब, घर से अलग वो करते है।
रिस्ते नाते तोड ताड के, सब से अलग वो करते है।।
प्रेम का भूत चढा हो जब तक, सब कुछ अच्छा लगता है।
लव जिहाद का पता लगे तब, सब कुछ सुना लगता है।।
फिर मौत खड़ी होती है सर पे, और कोई ना अपना पास रहे।
फिर अनजानो की बस्ती मे, कोई ना अपना खास रहे।।
तब याद बहुत अपनो की आती, पश्चाताप भी होता है।
तब जल बिन मछली जैसे जीवन, पर विश्वास नही ये होता है।।
फिर खेल जिहादी का देखो तुम, एहसास नही ये होता है।
विश्वासघात की सीडी पर, प्राणघात फिर होता है।।
फिर काट के बोरी मे भरते है, अंदाज नही ये होता है।
और मार के गोली भगते, एहसास नही ये होता है।।
गिनती ये तो बहुत बड़ी है, कैसे ललित बतलाए तुम्हे।
फिर भी कोशिश करे ललित ये, सच्ची राह दिखलाए तुम्हे।।
अंकिता संग शाहरूख हुए अंजलि का यामीन, नीतू ने लईक को चाहा हिना ने अदनान।
नैना ने नैन लडाये वो था शेरखान, खुशी की खुशी तो अशरफ मे थी अंतिमा का रिजवान।।
प्रिया कशिश का शमशाद बना बबली का शहजाद, प्रिया का एजाज बना दीक्षा का इमरान।
अपने बैरी लगते थे ना था इनको अंदाज, मौत के घाट उतार सबको ऐसे थे इन्सान।।
=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=
“ललकार भारद्वाज”