लव इन कोरोना
रूपा चुपचाप अस्पताल में बिस्तर पर लेटी थी। आँखों में चिंताओं के घने बादल छाए थे। ‘पता नहीं माँ कैसी होगी…अकेले कैसे रहेगी….सामान कौन लाएगा…’ सोचते-सोचते उसकी आँखों से चिंता के वो घने बादल बरसने लगे। अभी छह महीने पहले ही पिता अचानक हृदयघात होने से चल बसे थे । सरकारी दफ्तर में काम करते थे । वो तो BA ही कर रही थी ..पर जब पापा के बदले उसे नौकरी मिल गई तो उसने उसे जॉइन कर लिया। वरना घर कैसे चलता। रिश्तेदार के नाम पर उनका कोई भी अपना नहीं था। पापा मम्मी का प्रेम विवाह होने के कारण किसी ने उनसे कोई मतलब नहीं रखा था। लोकडाउन खुलने के बाद आफिस खुल गए थे। पता नहीं कैसे वो कोरोना पॉजिटिव हो गई। और उसे अस्पताल आना पड़ा । ये तो अच्छा हुआ माँ की रिपोर्ट सही आई वरना…माँ कैसे रहती यहां। रूपा जाने क्या -क्या सोचती जा रही थी रोती जा रही थी तभी उसके कानों में एक आवाज पड़ी,’ क्या मैं आपकी कुछ सहायता कर सकता हूँ?’ रूपा ने देखा करीबन 24-25 साल का लड़का उसके बराबर वाले बेड पर बैठा पूछ रहा था। रूपा ने जल्दी से आँसू पूछे और उल्टे कई सवाल उसी पर दाग दिये ,’ आपका नाम..आप कहां से आये हैं…कौन है आपके साथ?…..’
वो लड़का मुस्कुराया और बोला …’ मेरा नाम सूरज है…मैं अनाथ हूँ…पढ़ता भी हूँ और पार्ट टाइम जॉब भी करता हूँ..कोरोना होने की वजह से आज ही यहाँ आया हूँ। आपको रोते हुए देखा तो रहा नहीं गया..इसलिये पूछ बैठा।’ रूपा को थोड़ा ढांढस बंधा। उसने अपने बारे में बताया। धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती का रिश्ता कायम हो गया। दोनों एक दूसरे का खूब ख्याल रखते। सात दिन कैसे बीत गए पता ही नहीं चला । जबअस्पताल से छुट्टी मिलनी थी तो दोनों ही बहुत उदास लग रहे थे । एक मजबूत रिश्ता उन दोनों के बीच कायम हो चुका था। अभी दोनों को ही कुछ दिन और घर पर ही क्वारन्टीन रहना था इसलिये दोनों अपने 2 घर चले गए। लेकिन फोन पर हर वक़्त बातें करते रहते। दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे थे।कोरोना मुक्त होते ही सूरज रूपा के घर आया और रूपा की माँ से रूपा का हाथ मांग लिया। माँ को भी सूरज पसन्द था। उसने फौरन हां कर दी। मंदिर में उन दोनों की बहुत सादगी से शादी कर दी। सूरज के रूप में उनको बेटा मिल गया था।उनके जीवन से ग़मों के बादल हल्के हल्के छंटने लगे थे….
24-06-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद