लवंगलता सवैया (अशोक वाटिका में हनुमान)
अशोक वाटिका में हनुमान
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लवंगलता सवैया
8जगण 1 लघु
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धरें बजरंग हिये सियनाथ,भिड़े
दिल खोल,अशोक उजारन।
लगे दल को बल से दल ने रिपु
भाग चले निज नाथ पुकारन।
लगे बतियान सुनो दसशीश,
नहीं कपि है सुर बाग मझारन।
करे हम कोट उपाय चले नहिं,
कूद बचे वह डारन डारन ।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
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